केजरीवाल की राजनीतिक पारी के 100 दिन
पिछली बार अर्दशतकिय
पारी खेलने से मात्र एक दिन से चूके अरविंद केजरीवाल (49 दिन की सरकार) ने इस बार शतक जड़ ही दिया यह
अलग बात है कि इन्होंने यह रन बनाए नहीं हैं बल्कि बनवाए हैं। वैसे तो 67 सीटें
जीतने के बाद राजनीती के खेत में केजरीवाल की ही फसलें लहलहा रही थी और दिलशाद से
द्वारका, बदरपुर से बुराड़ी, राजीव चौक से रोहिणी, शाहदरा से सुलतानपुरी जहाँ तक भी
नजरें जाती थी आप के आम ही (आप के विधायक) नज़र आ रहे थे। भाजपा की लुटी इज्ज़त
बचाने के लिए भाजपा के तीन बल्लेबाज( 3 भाजपा के विधायक) ही बचे थे जिन्हें आप
सरकार चाहती तो बाउंसर पर बाउंसर मार कर पूरे पांच साल आराम से छका सकती थी लेकिन
जिस टीम का कप्तान अरविंद केजरीवाल जैसा हो उससे आप बाउंसर या यौरकर की उम्मीद
नहीं कर सकते। इन्होंने तो दे ओवरपिच दे फुलटॉस फेंक कर जो 102 दिनों में अपनी
इज्जत के रन उड़वाए हैं वो तो सबने देख ही लिए हैं। सबसे पहले तो इन्होंने आप पार्टी
के लिए विकेट कीपिंग कर रहे योगेंद्र यादव का विकेट टीम से हमेशा के लिए उखाड़
फेंका और उसके साथ ही प्रशांत भूषण जो की गली में खड़े टीम की अबरु बचाने की कोशिश
कर रहे थे उन्हें पतली गली से निकाल दिया, अनंद कुमार जो लॉग ऑफ पर खड़े थे उनकी
लॉग बुक को टीम से हमेशा के लिए ऑफ कर दी। इस सब के बाद जो थोड़ी बहुत कसर बची थी
वो ताजा मामले से पूरी हो गई। केजरीवाल को लगा की इतनी भारी बहुमत देख कर मैदान के
अम्पायर (नजीब ज़ंग) उनकी तरफ होंगे और उन्हें जैसे चाहे वैसे खेलने देंगे पर हुआ
इसके ठीक उलट दरअसल अम्पायर ने समझदारी दिखाते हुए थर्ड अम्पायर (केन्द्र सरकार)
का दामन थाम लिया और दोनों ने मिल कर केजरीवाल की टूटी हुई नय्या में और बड़ा छेद
कर दिया जिससे उन्हें डूबने में आसानी हो जाए। पांच साल के समम्दर जैसे दिखने वाले
लंबे कार्यकाल में अपनी टूटी हुई नय्या के सहारे सही सलामत उस पार लग जाना
केजरीवाल के लिए चुनौती बनता जा रहा है, अब यह देखने वाला होगा कि उनकी नांव में
इज्जत की कुलहाड़ी से हुए छेद कब भर पाते हैं।
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