गाय हमारी माता है पर कब से?
“ गाय हमारी माता है हमको कुछ नहीं आता है ” बचपन में इसका प्रयोग तब करते थे जब टीचर कोई
सवाल करे और हमें उसका मतलब ना पता हो पर अब समझ में आने लगा है कि वाकई हमें कुछ
नहीं आता है। अगर इसका ठीक से मतलब समझ पाते तो आज बीफ पर इतना बवाल ना कर रहे
होते। बीफ को लेकर लोगों को लगता है कि इसमें गोमांस होता है पर भारत में बीफ का
मतलब भैंस के मांस से होता है यह अलग बात है की अंतराष्ट्रीय बाजार में बीफ का
मतलब गाय और भैंस के मास दोंनो से होता है। आस्था की चपेट में आया बीफ के बाजार को
कितना नुकसान होगा इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत हर साल 65 से
ज्यादा देशों को बीफ सप्लाई कर 19000 करोड़ का कारोबार करता है और ब्राजील के बाद
दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। एक और रोचक जानकारी बीफ के बारे में यह की
दुनिया भर में जितनी भैंस हैं उनकी आधी आबादी भैंस की भारत में पाई जाती है इसके
बावजूद अगर यह दूसरे नंबर पर है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अभी पूरी तरह से यह
कारोबार फल फूल नहीं रहा है। अब बात करते हैं कि हाल ही में बीफ पर बैन ने क्यों
ज़ोर पकड़ा हुआ है ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भैंस की आड़ में कुछ
लोग गैर कानूनी ढ़ंग से गाय की भी बलि चढ़ा कर इसका मांस बेच रहे हैं। अब इतना
बड़ा कोयला घोटाला हुआ तो क्या कोयला आवंटन बंद हो गया ? नहीं ना
तो अब ऐसा पछपात क्यों? वैसे तो भारत ही ऐसा देश है जहाँ गाय का मांस
खाने पर प्रतिबंध है पर अगर लोगों को ऐसा लगता है कि यह हमेशा से रहा है तो ऐसा
नहीं है वैदिक शास्त्र में ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह साबित करते हैं कि उस दौर में
भी गौमांस का सेवन किया जाता था। गोहत्या पर कभी प्रतिबंध नहीं रहा है पर पांचवी
से छठी शताब्दी के आस पास छोटे छोटे राज्य बनने लगे और भुमि दान देने का चलन शुरु
हुआ, इसी वजह से खेती के लिए जानवरों का महत्व बढ़ता गया खासकर गाय का उसके बाद
धर्मशास्त्रों में जिक्र होने लगा की गाय को नहीं मारना चाहिए। पांचवी छठी शताब्दी
में दलितों की संख्या भी बढ़ने लगी थी उस वक्त ब्राह्मणों ने धर्मशास्त्रों में यह
लिखना शुरु किया की जो गोमांस खाएगा वो दलित है। असली विवाद 19वीं शताब्दी में
शुरु हुआ जब आर्य समाज की स्थापना हुई और स्वामी दयानंद सरस्वती ने गोरछा के लिए
अभियान चलाया और इसके बाद ऐसा चिहनित कर दिया कि जो गोमांस खाता है वो मुसलमान है।
वैसे गोवंस की एक पूजा होती है जिसका नाम ‘गोपाष्टमी‘ इसके आलावा गाय के लिए अलग से कोई मंदिर नहीं
होते। अब ज़रा सोचिए की
बीफ पर बैन कितनी सही है?