सच्चे साथी भी रुलाते हैं.…।
रात भर गर्लफ्रेंड से चैट करने के बाद सुबह कौन पहली क्लास में जाना पसंद करता है, वो भी तब जब हम बड़े हो गए हों और कॉलेज जाने लगे हों,(भैया ये स्कूल नही है जो हर क्लास करी जाये)ऐसा कुछ लोगों को कॉलेज में कहते सुना था .। कुछ रात भर की चैट की थकान होती थी और कुछ इस बात का घमंड की जितना हमारे उस खडूस टीचर को आता है उतना तो हमारा दुःख सुख का साथी गूगल कभी भी बता देगा और वो भी बिना किसी किचकिच के।
पता नही अब गूगल का डूडल ज्यादा खूबसूरत था या उस टीचर की शक्ल ज्यादा बदसूरत थी जो हर बार सुबह पहली क्लास करने से रोकती थी, अब कारण जो भी रहा हो, पर सुबह सुबह बाइक को घर की ढलान से ना उतारने का नतीजा यह हुआ की करियर ढाल से उतरने लगा..…अब जब करियर की अर्थी उठती नज़र आई तब वो ४ कंधे भी साफ़ दिखाई पड़ने लगे जिनके ऊपर जनाज़ा निकलने वाला था .…सबसे आगे तो आज भी गूगल खड़ा देखा जा सकता था, जो अपने मजबूत कंधो की तरफ इशारा कर के कह रहा था , "रख दे दोस्त अपने करियर की अर्थी", वादा है तुझसे, "जैसे तूने अपना समय जलाया था वैसे ही तेरे करियर की लाश भी जलेगी"… दुसरे कंधे से जिसने जनाज़े को सहारा दे रखा था वो थे हमारे कभी ना साथ छोड़ने वाले दोस्त, लेकिन शायद उन्हें अपनी अपनी जॉब पर जाना था तो शमशान जल्दी चलने की ज़िद पर अड़े थे। फिर भी मैं कहूँगा की इस कलयुगी समाज में ऐसे पक्के दोस्त कहाँ मिलते हैं, जो आखिरी वक़्त तक साथ दें.…अब जनाज़े का पूरा भार तो इनके ही कंधो पर आना था आखिर यहाँ तक पहुँचाया भी इन्हों ने ही है लेकिन खानापूर्ती के लिए ४ लोगों की तो ज़रुरत तो होती ही है, तो पीछे से गर्लफ्रेंड और उसके नए बॉयफ्रेंड ने कन्धा लगाने की ठानी, चलो किसी और के साथ ही सही, लड़की ने कहा था साथ नही छोडूंगी तो उसने अपनी बात रख ली ।।
bahut khoob
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeletekahani me dukh hai :P
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